Thursday, November 3, 2011

अल्ज़ाइमर

अल्जाइमर 
माणक चौक में खड़े हूए लगा जैसे सर्दी अब धीरे -धीरे हवा में घुल रही है...ग़र्म सिकती मूंगफलियों की गंध अच्छी लग रही थी.. बाज़ार मे यूँ तो हमेशा ही बड़ी भीड़ रहती है ... पर पानवाले की दूकान के पास भीड़ कुछ  घेरे हूए सी थी .. मैंने उत्सुकतावश  जाकर देखा...एक वृद्धा डरी सहमी एक पोटली को कस के पकडे   ..भीड़ को आशंकित नज़रों से देख रही थी ..कोई बोलो - " दिन  से ये यंही भूखी -प्यासी बैठी  है.. कुछ खाने को दो तो नहीं लेती ..पागल है शायद " ..दूसरा बोला - " नहीं-नहीं  ये बोली थी ..गुजरात की है शायद ..कह रही थी ..बेटे दर्शन कराने लाये थे ! कार से कुछ लेने उतरी ..और वो कंही चले गए ...नाम नहीं बता पा रही  ..न पता ..न ही किसीका  नाम इसे याद है ..इसे शायद अल्जाइमर का रोग है.. बेचारी.. कोई पुलिस को फोन लगा दो ! मैं सोच   रहा था ..ये बेटों को भूल गई या ...बेटे  ......!

Friday, October 7, 2011

कुछ शब्द



  1. बड़ी झुलसन   सी जिंदगी ...मरहम सा लगे है तेरा छुना - योगी 
  2. जिंदगी तू सौ बार रुलाना चाहे तो  क्या ...हँसने के मै भी हज़ार बहाने ढूंढ़ लूँगा ~ योगी 
  3. बड़ी मुद्दत बाद की थी दुआ डरते -डरते ..कौन कहता है दुआ से क्या मीलता है ?..योगी 
  4. वो हर ख़ुशी छिनते रहे ये कहकर की वो सिर्फ मेरी ख़ुशी चाहतें है ... योगी 
  5. चंद लम्हे ये जो ...तेरी वज़ह से हुए जा रहें है खुबसूरत से ..योगी
  6. मेरी  तरह क्या तुम भी   बरसती  बूंदों  को  हाथों  में समेटना पसंद करती हो... 
  7. बातों और वादों की फांस लिए ...लोगों की जुबान में ज़िन्दगी ..क्या है ये जिंदगी ??
  8. रोम रोम सुवास तन तरंग मचले है क्या ये ?.. क्या आहट तेरे कदमों की है ? -योगी
  9. ये मेरे जज्बातों की हद ही तो थी की तड़प तेरी आँखों में भी आई तो -योगी 
  10. समय ख़ामोशी की चादर में लिपटा 
  11. गुजर जाता . ..चंद लम्हों में ..सिमटी जिंदगी ..उड़ती धूल के ..वो साया फिर लोट आता .योगी
  12. ख्वाब देखना गुनाह नहीं ये माना .. सच न होना तो गुनाह ही है ??
  13. चाहते हो सपने पुरे हो जाएँ गर तो सपने ज़रा खुली आँखों से देखा करो .. योगी 
    1. अजीब से अहसास से गुजरा हूँ  
    1. हर पल यूँ किरचों सा बिखरा हूँ
      1. सुन भी ले कभी मेरी सिसकियाँ
    1. सालों से झुलसा वो सहरा हूँ 
    1. -योगेश 'योगी'

Saturday, May 7, 2011

क्षण


  1. रफ्ता- रफ्ता ये दिन गुजर जायेंगे ..पर ये लम्हें याद तो आयेंगे ..इन लम्हों को कुछ यूँ सजाये..कि बस वक्त की रेत बन न  गुजर जाएँ   ..योगी 
  2. मेरे हाथों की लकीरों में ..देखता हूँ तेरे ख्वाब लिपटे से ...हर दफा एक नया अहसास देतें हें वो मुझे = योगी 
  3. ताज़ा से नर्म ..मुलायम रिश्ते ...जिंदगी तू खुबसूरत है ..योगी
  4. डर लगता है मुझे अपनी तन्हाई से ..ज़रा मुझे इस भीड़ से दूर ले चलो - योगी  
  5. मैंने  तुझे खुदा माना ..ये मेरी चाहत की बुलंदगी थी ..तुने ले लिए यूँ फैसले अकेले  या रब ..ये तेरी दगाबाजी थी =योगी 
  6. ये दास्ताँ भी जो  गुजर रही है .. एक दिन बहुत याद आएगी ..तेरी आँखों के ये कातिल नश्तर ..तब बादल सा बरसायेगी -योगी 
  7. पूछा था जो किसी ने ..रब का रूप कैसा बोलो ?? .. चल पड़े तेरी गली को एक और सजदे को ..योगी
  8. इक मुसाफिर हूँ .. गुजर  रहा ..राहे - जिंदगी ... मुड कर जो देखा ..चेहरे कई जाने पहचाने ..फिर याद आये ...फिर याद आये ...-योगी 

दर्द।


ये कैसी  अजब ख़ामोशी है ..
ये कैसी  जलन ,मदहोशी है ..
हर तरफ है ये बिखरे घरौंदे ..
बेहोशी ...बेहोशी, बेहोशी हे ..

Wednesday, May 4, 2011

तपन ..







पैरों तले सूखी पत्तियाँ चटक रहीं थीं
दूर धुंधलके में खड़ी वो जयपुर   जाने वाली बस का इंतज़ार कर रही थी..
गर्म हवा से बचने के लिए वो बार बार अपनी किताब से चैहरे को ढक लेती ...पर ये प्रयास बेमानी ही था ..में उसे देख रहा था ये अहसास उसे था ..पर अजनबी की तरह उसने एक उड़ती नज़र भी न डाली ..बार - बार घडी देख उसने जताया उसे यंहा से जल्दी निकलना है ....
मै खुद असमंजस में  खड़ा सोच  रहा था ...क्या वास्तव में वो इतनी ही अजनबी है ...तभी उसकी  बैचेनी भरी आँखों में एक चमक जगी ..बस की घरघराहट भरी आवाज़ ने उसे सकूँ दिया ...
बस के रुकते ही वो लपक कर सामान उठा बस की और ऐसे बड़ी मानों वो कुछ और देर यंहा ठहरी  तो झुलस जायेगी...मै बेचैन हो उसे रोक ..कुछ कहना चाह रहा था ..पर जैसे जड़ हो गया ..बस से निकलता जहरीला धुंआ उसे निगल रहा था ...तभी वो रुकी.........................................मै धक् सा रह गया ...उसने चेहरा मेरी और घुमाया और देखा ..उसकी आँखों मे वही बैचेनी अब तरलता से भरी थी ...जैसे पूछ रही हों - क्या ?...कैसे कहूँ ...फिर वो बस की और चल दी .....गर्म हवा ने मेरे बदन को उस पल में जला  सा दिया...जलता  खून आँखों से पानी की दो बूंदों में बदल फिसल गया..................................... बस पुल को पार कर तेज गती से भाग रही थी ....में जडवत खडा था .....में लोटने के लिए मुड़ने ही वाला था कि...मेरी नज़र सड़क पर पड़ी ...वहाँ  जँहा  वो खड़ी थी ..वो ही फूल ...लिली का फूल  पड़ा था ..गर्म हवा उसे झुलसा रही थी.


Sunday, May 1, 2011

सजदा मेरे रब का

  1. कैसे मान लूँ वो नहीं चाहती मुझे ..जब भी आइना देखा ..आँखों में मेरी वो मुझी से आगोश मांगती है ..योगी
  2. फिर हुई शब् गहरी ..डूबता याद में तेरी ..ए खुदा तेरा अहसास.. हाँ तू यंही आस पास .. मीठी शब्..मीठे ख्वाब =योगी
  3. ठहरे ठहरे कदम ...बहुत दूर मंजिले सकूँ ..और एक नशा हर कदम ..योगी
  4. तेरे चहरे पर जो ये आजकल इक नूर आब है ..मेरी मोहब्बत की पाकीजगी का गहरा असर है !!योगी
  5. तो तुम जान ही गई ..कि तुम्हारी  अदा से किसी की जान गई ?? योगी 
  1. बढ़ चलोगी क्या . साथ मेरे, क्षितिज तक,ओह मेरी नशा ..योगी
  2.  
  3. काश तुझे कुछ अहसास होता ...बंदा भी कुछ खास होता ...

  4. यही तो होता है ..अक्सर .. तेरा होना ..और जुबाँ का यूँ लडखडाना

     

      Tuesday, April 12, 2011

      मेरे जज्बात ..योगेश अमाना

      1. हर सुबह तेरी याद ..हर शब् तेरा इंतज़ार ..तेरी नज़र के मायने ..सहरा मे बहार =योगी 
      2. नशा ही नशा है तेरी हर बात में गजब कशिश है तेरे इस अंदाज में =योगी  
      3. गुजरा हूँ इस तरह बच कर उसके आंचल की छुअन से योगी ..जैसे में उसे पहचानता ही नहीं . 
      4. कहने को क्या नहीं ..पर ज़ुबां साथ न दे तो क्या ? योगी  
      5. कतरा कतरा पिघले रूह का मोम ..तेरे अहसास में बड़ी तपिश है =योगी  
      6. कश्ती थी पतवार नहीं ..अपने भी  थे ...खेरख्वाह नहीं =योगी  
      7. बड़ी शर्मिंदगी सी है इस दौर का इंसा होने से ..न भरोसा , न आशा ,न मोहब्बत और न सकूँ है !! =योगी  
      8. मेरी माँ की दुआएं ही थीं ..बाकि इस सख्त जहान ने कसर न रक्खी थी मेरा वजूद मिटाने की = योगी
      9. वो सादगी तेरी की चाँद भी पिघल -  पिघल  जाये...बैठें है हम  दीदार की चाहत   दिल मे दबाये =योगी  
      10. दुनियां की राह में बड़े कांटें है.. यूँ नंगे पैर जाया न करो .. चाहतें हैं तुजे बहुत यारा ..बात बेबात यूँ सताया  न करो !योगी  
      11. क्या मेरी सुर्ख आँखों में देखा है तुमने बीती शब् की बारिश की कुछ बूंदें अभी भी उलझी पड़ी हैं ..योगी  
      12. सुनो जरा संभल कर आना नंगे पैर इधर..मेरे टूटे दिल की किरंचें हर और बिखरी पड़ी हैं ..योगी  
      13. बड़ा दर्द बड़ी बेचैनी  है ..मै भी चाहता हूँ तुझे भुला ही  दूँ ..पर डरता हूँ खुदा से ..उसका दिया ये प्यारा तोहफा कैसे ठुकरा दूँ..योगी  
      14. जानता हूँ तुझे अब भी मेरी चाहत पर यकीन नहीं..बाकि सब भूल तू कब की मेरी बांहों मे सिमट न जाती ..योगी
      15. बंदगी गर कर न सको खुदा की कभी ..किसी से सच्ची मोहब्बत जरुर करना ..योगी
      16. वो तड़प है चाहत में  मेरी ..कि एक दिन कुदरत की हर शय ,हर बन्दा  और खुदा भी मेरी और इशारा करेगा ..योगी  
      17. दुश्मनों से न कोई रंज है न गिला ..दर्द के ये तोहफे तो अपनों के भी दिए हैं ..योगी
      18. कशिश तेरी गुलाबी  आँखों की यूँ उतरी आँखों मै मेरी  की   ..मै तेरी दीद का   दीवाना हो गया ..योगी   
      19. रूह की आह जब नज़र आ जाये ...देंखें फिर कोई कैसे दूर रह जाए ..योगी
      20. क्या तुम्हे भी लगता है ..कुछ तो है सदियों  पुराना अहसास .. तेरे मेरे दरमियां ? =योगी 
      21. इश्क में  मेरे जूनून है, रब है ..तेरी याद में महकी महकी  शब् है.. इश्क में मेरे इक बस तू नहीं ..बाकि तो सब है ..योगी  
      22. गर्म सिली हवा .. रवा सा रवा ..टूटते सूखे पत्ते ..पलाश जो हुए जवाँ..सुने रास्ते ..पिघलता डामर ..थक गया कारंवा ..योगी
         

      मेरे जज्बात ..योगेश अमाना

      1. कतरा कतरा पिघले रूह का मोम ..तेरे अहसास में बड़ी तपिश है =योगी 
      2. कहने को क्या नहीं ..पर ज़ुबां साथ न दे तो क्या ? योगी  
      3. गुजरा हूँ इस तरह बच कर उसके आंचल की छुअन से योगी ..जैसे में उसे पहचानता ही नहीं . 
      4. नशा ही नशा है तेरी हर बात में गजब कशिश है तेरे इस अंदाज में =योगी