Tuesday, April 12, 2011

मेरे जज्बात ..योगेश अमाना

  1. कतरा कतरा पिघले रूह का मोम ..तेरे अहसास में बड़ी तपिश है =योगी 
  2. कहने को क्या नहीं ..पर ज़ुबां साथ न दे तो क्या ? योगी  
  3. गुजरा हूँ इस तरह बच कर उसके आंचल की छुअन से योगी ..जैसे में उसे पहचानता ही नहीं . 
  4. नशा ही नशा है तेरी हर बात में गजब कशिश है तेरे इस अंदाज में =योगी 

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