- कतरा कतरा पिघले रूह का मोम ..तेरे अहसास में बड़ी तपिश है =योगी
- कहने को क्या नहीं ..पर ज़ुबां साथ न दे तो क्या ? योगी
- गुजरा हूँ इस तरह बच कर उसके आंचल की छुअन से योगी ..जैसे में उसे पहचानता ही नहीं .
- नशा ही नशा है तेरी हर बात में गजब कशिश है तेरे इस अंदाज में =योगी
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