अल्जाइमर
माणक चौक में खड़े हूए लगा जैसे सर्दी अब धीरे -धीरे हवा में घुल रही है...ग़र्म सिकती मूंगफलियों की गंध अच्छी लग रही थी.. बाज़ार मे यूँ तो हमेशा ही बड़ी भीड़ रहती है ... पर पानवाले की दूकान के पास भीड़ कुछ घेरे हूए सी थी .. मैंने उत्सुकतावश जाकर देखा...एक वृद्धा डरी सहमी एक पोटली को कस के पकडे ..भीड़ को आशंकित नज़रों से देख रही थी ..कोई बोलो - " दिन से ये यंही भूखी -प्यासी बैठी है.. कुछ खाने को दो तो नहीं लेती ..पागल है शायद " ..दूसरा बोला - " नहीं-नहीं ये बोली थी ..गुजरात की है शायद ..कह रही थी ..बेटे दर्शन कराने लाये थे ! कार से कुछ लेने उतरी ..और वो कंही चले गए ...नाम नहीं बता पा रही ..न पता ..न ही किसीका नाम इसे याद है ..इसे शायद अल्जाइमर का रोग है.. बेचारी.. कोई पुलिस को फोन लगा दो ! मैं सोच रहा था ..ये बेटों को भूल गई या ...बेटे ......!
माणक चौक में खड़े हूए लगा जैसे सर्दी अब धीरे -धीरे हवा में घुल रही है...ग़र्म सिकती मूंगफलियों की गंध अच्छी लग रही थी.. बाज़ार मे यूँ तो हमेशा ही बड़ी भीड़ रहती है ... पर पानवाले की दूकान के पास भीड़ कुछ घेरे हूए सी थी .. मैंने उत्सुकतावश जाकर देखा...एक वृद्धा डरी सहमी एक पोटली को कस के पकडे ..भीड़ को आशंकित नज़रों से देख रही थी ..कोई बोलो - " दिन से ये यंही भूखी -प्यासी बैठी है.. कुछ खाने को दो तो नहीं लेती ..पागल है शायद " ..दूसरा बोला - " नहीं-नहीं ये बोली थी ..गुजरात की है शायद ..कह रही थी ..बेटे दर्शन कराने लाये थे ! कार से कुछ लेने उतरी ..और वो कंही चले गए ...नाम नहीं बता पा रही ..न पता ..न ही किसीका नाम इसे याद है ..इसे शायद अल्जाइमर का रोग है.. बेचारी.. कोई पुलिस को फोन लगा दो ! मैं सोच रहा था ..ये बेटों को भूल गई या ...बेटे ......!
yeh aaj ki kadvi sachchai hai.kuch sochne ko majboor karti hui post.
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