Sunday, December 20, 2015

पावती

1.
वक्त लौटा दो सावन ,नफ़ा हो जाये।
मेरा जिस्म मुझसे भले खफ़ा हो जाये।।
गुजरे वो पल बीते वो मंजर फिर।
मेरी सिली यादें बेवफा हो जाये।।

'योगी 'वो रूठा तो रूठा सही मगर।

अबकी बारिश फिर वफ़ा हो जाये ।।

2.
राजस्थानी शायरी -
मां रा बेटा सब ठण्ड उ धुजरिया है ।न आज कठे जिम्बा जाणो पुछरिया है ।।
कुमार योगेश'योगी'



3.
आज में भन्नाभोट मोटरसाइकिल परी दौड़ाई।
न मारी नाक बोळी आई बाई आई बाई ।।कुमार योगेश 'योगी' की ताज़ा राजस्थानी शायरी



4.
तुम्हारे वास्ते ये ग़म उठाने वाला हूँ
भूल के तुम्हे अब मुस्कराने वाला हूँ।।
हाथ थाम तो लिया तूने उस गैर का ।
के तेरे शहर से दूर बहुत जाने वाला हूँ।।

मुस्करा ,खिलखिला रही हो महफ़िल में।

'योगी'बनकर बूँद ,आँखों में छानेवाला हूँ ।।
कुमार योगेश 'योगी'

5.
क्या है तू खफा सा, या मजबूर बहुत हालात .,
के यादो की दीवार पे लिखा मेरा नाम मिटा दिया किसीने ?
कुमार योगेश 'योगी'



6.
वो मुझे मिटाने ..जलाने में मशरूफ होता गया ।।
भूल गया की वो खुद क्या खोता गया ।।
माना कोई हस्ती नहीं हमारी 'योगी'।।
वो मुझे ..और मेरा रब उसे मिटाता गया ।।
हरिहर।।



7.
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है।
रुके कदम ,खामोश लब ,अश्क-ओ-खार है।।
बीते बचपन की कुछ किलकारियाँ सी गूंजी।
दिख रहे कंचे वो गिल्ली यादें हुई कहार है।।

बहुत कुछ खो दिया बीते कुछ साल 'योगी'।

इमली का वो अम्ल था अब घावों पे क्षार है।।
कुमार योगेश 'योगी'

8.
माना टूटे पंख -परिंदों की रफ़्तार नहीं होती ।
चाहे कसो हो मुट्ठी बंद, रेत गिरफ्तार नहीं होती।।
ये भी माना चाहत के गुलिश्ता में कभी बहार की तौबा।
पर कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।।

कुमार योगेश 'योगी'


9.
वक्त की सदा कद्र की सदा पूजा भी..
फिर क्यूँ गाहे बगाहे छीन लेता है वो पल मेरे ।
योगेश अमाना 'योगी'



10.
वो आजकल बहुत परेशां से है ...कहते हैं - क्यूँ सताते हो यूँ 
तुम्हारी इस मोहब्बत का असर गर हो कम ..तो कुछ सो लूँ 
योगेश 'योगी '



11.
''योगी " फिर वही -वही दौर आंधियो का है ...
साजिशें - बवंडर लौट आया गुलशन में मेरे !! 
योगेश अमाना "योगी"



12.
बिक गया जो "योगी"वो खरीददार हो नहीं सकता ...
आँखों में कुछ ख्वाब बसे अब सो नहीं सकता !! - 
योगेश 'योगी' ‪#‎2Line‬ ‪#‎alfaz‬



13.
ये खंजरी नैना ...मोहे घायल कर देंगे !
सुन बदरवा जा के कहियो ...
दिन- रात ..पल -पलछिन सब हर लेंगे !!
= योगेश 'योगी'



14.
सब का पता नहीं कुछ चकोर होते हैं ।
भूख प्यास भूल ,सांस भी खोते है ।।
योगेश 'योगी'



15.
जब लड़ाई अपनों से ही लड़नी हो तो
 समझ नहीं आता क्या ,क्यूँ ,कैसे और कितना ? सचमुच बहुत कठिन ।



16.
उसने कहा कई दिनों बाद मिले ..भूले तो नहीं ।
जी आप कौन?? ..और भला क्या कहता ।।



17.
बाजार में देखा एक अति लाचार बेबस इंसान जो गुब्बारे में भरकर अपनी साँसे बेच रहा था ।









19.
















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