- बड़ी झुलसन सी जिंदगी ...मरहम सा लगे है तेरा छुना - योगी
- जिंदगी तू सौ बार रुलाना चाहे तो क्या ...हँसने के मै भी हज़ार बहाने ढूंढ़ लूँगा ~ योगी
- बड़ी मुद्दत बाद की थी दुआ डरते -डरते ..कौन कहता है दुआ से क्या मीलता है ?..योगी
- वो हर ख़ुशी छिनते रहे ये कहकर की वो सिर्फ मेरी ख़ुशी चाहतें है ... योगी
- चंद लम्हे ये जो ...तेरी वज़ह से हुए जा रहें है खुबसूरत से ..योगी
- मेरी तरह क्या तुम भी बरसती बूंदों को हाथों में समेटना पसंद करती हो...
- बातों और वादों की फांस लिए ...लोगों की जुबान में ज़िन्दगी ..क्या है ये जिंदगी ??
- रोम रोम सुवास तन तरंग मचले है क्या ये ?.. क्या आहट तेरे कदमों की है ? -योगी
- ये मेरे जज्बातों की हद ही तो थी की तड़प तेरी आँखों में भी आई तो -योगी
- समय ख़ामोशी की चादर में लिपटा
- गुजर जाता . ..चंद लम्हों में ..सिमटी जिंदगी ..उड़ती धूल के ..वो साया फिर लोट आता .योगी
- ख्वाब देखना गुनाह नहीं ये माना .. सच न होना तो गुनाह ही है ??
- चाहते हो सपने पुरे हो जाएँ गर तो सपने ज़रा खुली आँखों से देखा करो .. योगी
- अजीब से अहसास से गुजरा हूँ
- हर पल यूँ किरचों सा बिखरा हूँ
- सुन भी ले कभी मेरी सिसकियाँ
- सालों से झुलसा वो सहरा हूँ
- -योगेश 'योगी'
Friday, October 7, 2011
कुछ शब्द
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