Sunday, January 31, 2016

रश्मियाँ..

अनंत से अंतस..
                                         1

2
जिंदगी भर कुली बने बोझ उठाते रहे ख्वाहिशो का ।।
 जब उतरा तो बिचारी  ख्वाहिशो ने दम तोड़ दिया ।।
योगेश अमाना 'योगी'

3.
क्या थे हम और क्या हो गए ।
अब तो अपने सपने भी सो गए ।।
योगेश अमाना 'योगी'

4

दूर उन झुरमुटों से झांकती रश्मियां कह रही जो अहसास है बहुत खास है शाम के कोहरे से लिपटी एक अदद प्यास है ।
योगेश अमाना 'योगी'
5

बहुत सुकूने खास पल जो दे गए वो मुस्करा पलट के जान ले गए

6
बस ग़ज़ल हुआ जाता हूँ ,जितना समजू खो जाता हूँ ।।

7

हर्फ़ से शब्द दूर ही कित्ते है तेरे मेरे ही जित्ते है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
8

पत्ता पतझड का ,तपी धरती पे गिरा है।
बदले मौसम का ,ये भी एक सिरा है।।
फिर इस मौसम कोई झूमी ,
खिलखिलाई ।
ये मोह नशे में, राधा है की मीरा है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
9

स्नेहरस सिक्त मधुर सुवास हो अति पास ।

10

सवाल सारे गलत थे, जवाब क्या देते ।
रक़ीब रहा था परख ,हिसाब क्या देते।।
मुरझा रहे थे  गुल बिना बागबां के ।
बादल लगे के बरसुं,जवाब क्या देते।।
'योगी'वो लौटा ,छोड़ शहर की गलियां ।
दर्द से भीगा वो चेहरा ,नकाब क्या देते ।।
योगेश अमाना 'योगी'
#KaafiyaMilaao

11.

कुछ इस तरहा करता , वो बातें ..
जैसे धीमी सी हो बरसातें
मेरा रब मुझे बहुत चाहता ..
कानों में ये सब गुनगुनाती रातें
योगेश अमाना 'योगी'

12

सुकून क्या है ...?? हम नहीं जानते..... !   शायद ये वो है ..... जो तुम्हारे पास आ के मिलता है..
योगेश अमाना 'योगी'

13

मैं कहता रहा अनकही बाते हवाओं से ..बात पहुँचती कैसे ॥पछुआ थी पवन -योगी

14

इश्क करे वो फ़ना होते होंगे । 
हमने तो इबादत की है ...
मुस्कराके झूमते है की नज़रो से मय पि है ..
योगेश 'योगी'

15

मैंने किरचें -किरचें जमा कर भेजी है तेरे झूठे वादों की टूटी तड़कन ।
कि तेरी मुहब्बत की अगली कहानी में ये फिर काम आ जाये ।।-योगेश अमाना 'योगी'

16

मशवरा तो खूब देते है लोग खुश रहा करो । कभी वजह नहीं देते ..योगी

17

बीमार हाल बैठे थे की बिन मांगे दवा मिल गई ।
उनके कदमो की आहट से साँसे खिल गई ।। -योगी

18

उस बिन क्या रहेगी जिंदगी फिर ।
जो छोड़ दे यूँ बंदगी फिर ।।
 19

गुजरता है जिस्म आज भी गहरी रातों में उन रास्तों से जंहा गुजरे थे तुम्हारे क़दमों के निशां ।

20

तुम्हे तो पता भी नहीं । तुम कभी जुदा न थी ।।
जो रूह में रच बस गया हो कैसे जुदा हो
जिस्म जुदा होते होंगे । हमने रूह में समां लिया है रूह को तुम्हारी ।।

21
मत पूछना कभी कि इतना क्यों चाहता हूँ ।। मै अपने जीने की वजह बताने को मजबूर हो जाऊँगा ।।

22
बदली सी गहरी ये काली जुल्फ़े छाई ।जीवन सहरा में मधुमास बन आईं ।।

23
 भी  झपको पलक मेरा दिदार हो ।मेरे  जैसा तुम्हे भी तो अहसास हो ।।-योगी
24
बढ़ी खामोश है ये महफ़िल सब बूत हुये या हम अजनबी।
25
मो.भाई पढ़ते सब है जवाब में ज़रा कंजूसी रखते । दयार से दुरी देखो कमबख्त वक़्त ज़ालिम सा
26
तेरी आखों के रस्ते तुझ को  ढूंढने चला था ये बंजारा ,
खुद राह भटक गया !
लिपट सो गया मासूम अब ,कामगार यूँ थक गया !!
- योगेशअमाना'योगी '
27

उसकी निगाहों से इन घुमी राहों से
मुस्कान दिखी मेरी भीगी आहों से -योगी
28

शुभरात्री - शुष्क हवाओं के कागज़ पर आँखों की नमी से लिखी है  कुछ अनकही बाते..दिनभर खुद को धोखा की भूल गया पर नाम तेरे अब राते -योगी
29

वो गुलाब पाँख सी होले से गिरकर उठती पलकों से झांकती दो बिल्लोरी अँखियाँ । आज भी हर राह हर कोने से जैसे चुप छुप घूरती है ।।-योगेश योगी

30

तेरा अक्स ही ज़िंदगी का किस्सा है मेरा,
तू ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा है मेरा..
मेरी ये तड़प  तुझसे, सिर्फ़ लफ्जों की नहीं है,
तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा..!!-योगेश 'योगी'

31
पल हर पल पिघल रहा है । सबकुछ मौसमो सा बदल रहा है।।
सबकुछ ही मिट जाना है रे माटी ।
ये भाव ये रिश्ता सदियो बस चल रहा है।।- योगेश 'योगी'

रश्मियाँ..

अनंत से अंतस..
                                         1

2
जिंदगी भर कुली बने बोझ उठाते रहे ख्वाहिशो का ।।
 जब उतरा तो बिचारी  ख्वाहिशो ने दम तोड़ दिया ।।
योगेश अमाना 'योगी'

3.
क्या थे हम और क्या हो गए ।
अब तो अपने सपने भी सो गए ।।
योगेश अमाना 'योगी'

4

दूर उन झुरमुटों से झांकती रश्मियां कह रही जो अहसास है बहुत खास है शाम के कोहरे से लिपटी एक अदद प्यास है ।
योगेश अमाना 'योगी'
5

बहुत सुकूने खास पल जो दे गए वो मुस्करा पलट के जान ले गए

6
बस ग़ज़ल हुआ जाता हूँ ,जितना समजू खो जाता हूँ ।।

7

हर्फ़ से शब्द दूर ही कित्ते है तेरे मेरे ही जित्ते है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
8

पत्ता पतझड का ,तपी धरती पे गिरा है।
बदले मौसम का ,ये भी एक सिरा है।।
फिर इस मौसम कोई झूमी ,
खिलखिलाई ।
ये मोह नशे में, राधा है की मीरा है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
9

स्नेहरस सिक्त मधुर सुवास हो अति पास ।

10

सवाल सारे गलत थे, जवाब क्या देते ।
रक़ीब रहा था परख ,हिसाब क्या देते।।
मुरझा रहे थे  गुल बिना बागबां के ।
बादल लगे के बरसुं,जवाब क्या देते।।
'योगी'वो लौटा ,छोड़ शहर की गलियां ।
दर्द से भीगा वो चेहरा ,नकाब क्या देते ।।
योगेश अमाना 'योगी'
#KaafiyaMilaao

11.

कुछ इस तरहा करता , वो बातें ..
जैसे धीमी सी हो बरसातें
मेरा रब मुझे बहुत चाहता ..
कानों में ये सब गुनगुनाती रातें
योगेश अमाना 'योगी'

12

सुकून क्या है ...?? हम नहीं जानते..... !   शायद ये वो है ..... जो तुम्हारे पास आ के मिलता है..
योगेश अमाना 'योगी'

13

मैं कहता रहा अनकही बाते हवाओं से ..बात पहुँचती कैसे ॥पछुआ थी पवन -योगी

14

इश्क करे वो फ़ना होते होंगे । 
हमने तो इबादत की है ...
मुस्कराके झूमते है की नज़रो से मय पि है ..
योगेश 'योगी'

15

मैंने किरचें -किरचें जमा कर भेजी है तेरे झूठे वादों की टूटी तड़कन ।
कि तेरी मुहब्बत की अगली कहानी में ये फिर काम आ जाये ।।-योगेश अमाना 'योगी'

16

मशवरा तो खूब देते है लोग खुश रहा करो । कभी वजह नहीं देते ..योगी

17

बीमार हाल बैठे थे की बिन मांगे दवा मिल गई ।
उनके कदमो की आहट से साँसे खिल गई ।। -योगी

18

उस बिन क्या रहेगी जिंदगी फिर ।
जो छोड़ दे यूँ बंदगी फिर ।।
 19

गुजरता है जिस्म आज भी गहरी रातों में उन रास्तों से जंहा गुजरे थे तुम्हारे क़दमों के निशां ।

20

तुम्हे तो पता भी नहीं । तुम कभी जुदा न थी ।।
जो रूह में रच बस गया हो कैसे जुदा हो
जिस्म जुदा होते होंगे । हमने रूह में समां लिया है रूह को तुम्हारी ।।

21
मत पूछना कभी कि इतना क्यों चाहता हूँ ।। मै अपने जीने की वजह बताने को मजबूर हो जाऊँगा ।।
22अ

भूल गई क्या सुरम्य रत्न वो मणि और शीत अति सुगंध।अष्टापद की चमकीली सुनहरी पाथिका और सुनहरी नील आभा वसन देह से लिपटा तुम्हारी। क्या सच भूल ही गई वो गहरी घनी घटाओ से घिरी अट्टालिकाओं से झांकना मेरा और खिलखिला भाग जाना तेरा । क्या भूल ही गई हे अलैका  ?-योगी :(
22ब
बदली सी गहरी ये काली जुल्फ़े छाई ।जीवन सहरा में मधुमास बन आईं ।।

23
 भी  झपको पलक मेरा दिदार हो ।मेरे  जैसा तुम्हे भी तो अहसास हो ।।-योगी
24
बढ़ी खामोश है ये महफ़िल सब बूत हुये या हम अजनबी।
25
दयार से दुरी देखो कमबख्त वक़्त ज़ालिम सा
26

कजरारे से नयन । घायल हुआ रे मन।। -योगी