Wednesday, February 24, 2016

दोहा

1.भोले तोरी चाह में ,योगी भयो मलंग ।
सब में शिव को ढूंढता ,भंग सु चढ़ी तरंग ।।
योगेश अमाना 'योगी'
(दोहा ,छन्द)

2. वो खोजे ,मै भी तकूँ ,सब ढूंढत हे उजास ।
दर -दर क्यूँ मारा फिरे,घट मा छुपी हे प्यास।।
-योगेश अमाना 'योगी'
(दोहा ,छन्द)
3.
समय की चाकी चली ,भाव - बिम्ब पीस गए ।
जाकी थी तलाश मोय,ज़रा बात क् रिस गए ।।
योगेश अमाना 'योगी'
(छंद -दोहा)