1.
ये भी क्या दौर हुआ 'योगी'
सर तकिया किया है ।
काँटों सा चुभ रहा रहबर को मेरे ..जिस्म जर्जर किया है
-योगेश अमाना 'योगी'
2.
धुप भी छिपी पढ़ी है साँझ की आगोश में ।
ढल गया दिन और फिर आई रात होश में।।
-योगेश अमाना 'योगी'
3.
लगा तू अपना सा,कोई शुभचिंतक है मेरा !
मासूम से चेहरे पर एक और चेहरा है तेरा!!
=योगेश अमाना 'योगी'
4.
था इंतेज़ार जिनका हर घडी वो कुछ गुल खिले नहीं ।
मेरे हिस्से में भी थे कुछ लफ्ज़ जो मिले नहीं ।।
योगेश अमाना 'योगी'
5.
जब यादों के क्वार बरसने लगे ।
चेहरे के दरो दिवार हरसने लगे ।।
योगेश अमाना 'योगी'
6.
कुछ थके थे कदम ,कुछ तन्हा से ।
अकेले गुजरे पुरानी दरकती गली में ,
कँहा के लिए पर ?ठिठके नहीं ;
मन भी बावरा बंजारा
यायावरों का क्या ठिकाना ,
अनवरत सी खोज
अंतस की खोज ..
योगेश अमाना 'योगी'
7.
क्यूँ मै अपनेआप से यूँ दूर हुआ ।
मिली दर्द -ए-आग तो कोहिनूर हुआ ।।
योगेश अमाना'योगी'
8.
मैंने कुछ हासिल करने के लिए इबादत ना की थी।
मेरी वजह से कोई चोट न कोई तकलीफ हो ये सोच जुदाई पि थी ।।
योगेश अमाना 'योगी'
9.
पत्थरों के इस शहर में एक पत्थर सा मै हुआ।
आये तो कोई मुझे भी रुलाये ,
कुछ नमी हो ,कुछ तपिश जाये ।।
योगेश अमाना 'योगी '
10.
उसकी भीगती अखींया रात को भीगो गई।
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई।।
योगेश अमाना 'योगी'
#kaafiyamilaao
11.
वो दूर उस तिलस्म से..फूटी असीम रश्मियाँ ।
उठो जगो है ऊष्म ,जगत को दो भी कश्तियाँ।।
योगेश अमाना 'योगी'
12.
सुना तेरे शहर में पानी की कमी नहीं है ।
फिर भी क्यूँ तेरी आँख में नमी नहीं है।।
योगेश अमाना 'योगी'
13.
उसकी रूह है यंहा और जिस्म कँहा होगा ।
वो भी मेरी तरह ही शहर में तनहा होगा।।
जो भिगोता था आरजुओं को कभी रंगो में ।
वो भी अश्कों से दामन भीगा रहा होगा ।।
कभी जो पत्ता लहरा के देता था छांव को ।
वो भी पतझड सा बिखर नदी में बहा होगा ।।
योगेश अमाना 'योगी'
#kaafiyaMilaao
14.
देखो तो दूर गगन में तारावली मुस्काई ।
अर्धमिलित इन नयनों में नींद उतर आई ।।
योगेश अमाना 'योगी'
15.
बरसा गगन ,फिर से हुई रात वीरानी है ।
दिल फिर हुआ धुआँ और आँखों में पानी है।।
लौट आई कश्तियाँ के ,तूफ़ान छाये हैं।
सुनी थी जो बचपन में ,वो बस कहानी है ।
बिकता रहा 'योगी 'उम्रभर,अपनों की मुस्कान को।
तन्हा सा लौटता घर ,यही जिंदगानी है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
16.
साहेब तेरी दीद का दीवाना मन हुआ ।
लोहे की सांकल था वज़ूद मेरा और ..
सोने की पायल सा छन -छन हुआ ।
-योगेश अमाना 'योगी'
17.
दरकती दीवारे छूटता समय हर पल ,बस ये कुछ बने बिना खून के रिश्ते, बहुत कुछ हैं जीवन में
18.
जिस्म की क्या गलती थी जो पिघल गया ,
शमा थी उसकी यादें कि ,पल हर जल गया ।।
योगेश अमाना 'योगी'
19.
वो मदमाती आँखे सब हर गई।
देखा जो पलट ,दुनिया ठहर गई।।
उसकी भीगी लटों से उलझे जज्बात।
उसने किया याद रूह सिहर गई।।
'योगी'उसकी मुहब्बत की रौशनी का नूर ।
आज तो शाम भी जैसे ठहर गई।।
योगेश अमाना 'योगी'
20.
कैसा ये जहाँ का दस्तूर हो गया ।
कि इंसा ,इंसा से दूर हो गया । ।
जो तोड़ता रहा दिलों को उम्र भर ।
वो तो शाह सा मशहूर हो गया । ।
दरख़्त बुढा देता रहा उम्रभर छांव ।
खुद तलाशे -छांव को मजबूर हो गया । ।
'योगी' उसकी रज़ा में जब राज़ी हुआ ।
आँख अश्क ,मस्ती से चूर हो गया । ।
-योगेश अमाना 'योगी '
#ग़ज़ल #हिंदी
21
वो खुश्क हवा की सिलवटे ,था समेटे चेहरे की दरारों में ।
भीड़ थी बेजुबां सूखे पत्तों की ,और वो तन्हा सा बहारों में ।।
योगेश अमाना 'योगी'
22
स्वेद बूंद जरा - जरा , सींच रहा रोज धरा !
सर्व हित को जिया जो, वक्त को भी हरा हरा !!
नमन श्रममूर्ति ( मजदुर दिवस )
योगेश अमाना'योगी'
22
स्वेद बूंद जरा - जरा , सींच रहा रोज धरा !
सर्व हित को जिया जो, वक्त को भी हरा हरा !!
नमन श्रममूर्ति ( मजदुर दिवस )
योगेश अमाना'योगी'
23
वादियां ही बन गई तेरी बांहे जब यार ।
तब क्यूँ और फिर कैसा इंतज़ार ।।
योगेश अमाना 'योगी'
24
क्या कशिश है तेरी आँखों की के जब भी कलम होती है हाथ में मेरे तेरा नाम कंही लिख ही जाती है ..
योगेश अमाना 'योगी'
25
डूब रहा था उसकी मदहोशी भरी कशिश में हम होने के लिए ।
वो बता रहा था होश काफी नहीं उसे पाने के लिए ।।
-योगेश अमाना 'योगी'
26
सरहदों की बंदिशों से अब लगता है ।
कोई काली रातों ,यादों में जगता है ॥
खुश्क रेतीली हवाओं की झुलसन ।
कोई ठंडी राखों में भी सुलगता है ॥
'योगी' जंजीरों में जकड़ा बेगुनाह वो ।
पल- पल बेरहम वक्त भी उसे ठगता है॥
-योगेश अमाना 'योगी'
26
दर्द क्या मारेगा हमें जुदाई का ।
हमने उनकी यादों का मरहम रखा है ।।
-योगी
27
राह चलते ,गली गुजरते कई बार टकरा जाता हूँ में ,हाँ वो तेरा ही साया होगा -योगेश अमाना 'योगी'
28
सुबह -शाम कही सुनी बातें ,कि जाहिल मै था।
और जुबां पे आ ही ना पाया,जो मेरे दिल में था ।।
भटकते रहे उसकी तलाश में दर -ब- दर चातक से।
तूफां को मंजिल समझ भुला, कि क्या साहिल में था।।
गुजरते बादल ने बरसते कहा ,'योगी 'गैर हुआ है अपना ।
हंसते -हंसते आँखों में पानी ,भूल गया महफ़िल में था।।
-योगेश अमाना 'योगी'
29
यूँ पलटना के जैसे मौसम बदलना ।
मुस्करा के फिर होले होले से चलना।।
और ये सुरमई नयनों की सरगोशियां।
बड़ा मुश्किल इन नाज़ो अंदाज़ को सहना।।
-योगेश कुमार अमाना 'योगी'
30.
कैसे कह दूँ की तू जुदा है ,ये फरेब नहीं तू साया भी नहीं ,मेरा इक मात्र जिन्दा अहसास है मेरे आसपास -योगी
31.
जी थोड़ी कमी है थोड़ी गमी है पर आपसे दोस्त साथ है तो पूरा आसमां और पूरी जमीं है।
32.
तुझे पाने की तमन्ना है बस और कुछ नहीं ...
बता की अब और कँहा सजदा करूँ की सांस मिल जाये .....योगी
33.
तुमने ही शायद पुकारा ना होगा उसे ।
वो क़यामत तक के लिए उसी मोड़ पे खड़ा मिला ।
था यार जंहा छोड़ा उसे ।।
योगेश अमाना 'योगी'
34.
स्नेह ओस यूँ भीगी री अँखियाँ ,बरस बाद बंधन में सखियाँ ।। -योगी
स्नेह ओस यूँ भीगी री अँखियाँ ,बरस बाद बंधन में सखियाँ ।। -योगी
35
तन्हा ना यूँ बैठा करो ,दुनियादारी जकड लेगी ...
दोस्तों की महफ़िल से गुज़रा भी करो
मुस्कुराहटें पकड़ लेंगी ।-योगी
36
जो उंगली से छू सोख रहा था गम तेरे मैने कोई दुखती रग को नहीं दबाया यारा । -योगी
37
मत टटोलो पुरानी अलमारियां ,जरुरत नहीं तस्वीरों की।
बस बंद आँखे बड़ी पुररोनक यादे हम फकीरों की ।। -योगेश 'योगी'
38
सिसकते है वो दरो दिवार वो दरख्त भी ।
जंहा यारों से अलविदा कहते शब्द कुछ गिरे कुछ उलज़ गए थे -योगेश 'योगी'
39
जुगुनू बन दमकते रहे की तेरी याद कंही अंधेरों में न खो जाये
40
फिर बादलो ने कुछ कहा है फिर मौसम मुस्काया है ।लौटकर अरसे बाद जीवन में मेरा यार आया है।। आभार -योगेश 'योगी'
41
वो सुन भी लेती शायद पर दस्तूर नहीं था पता उसे इश्क़ की आजमाइश का -योगेश 'योगी'
42
शुष्क हवाओं के कागज़ पर आँखों की नमी से लिखी है कुछ अनकही बाते..दिनभर खुद को धोखा की भूल गया पर नाम तेरे अब राते -योगी
43
शाम तो तेरे शहर में भी ढलती होगी ।
मेरी याद की शमा आज भी जलती ही होगी ।।-योगेश 'योगी'
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