इंतजार में तड़पती रही, रूह भी बेकरार क्यों राहों में बिछे कांटे, मुझसे दूर मेरा प्यार क्यों
शेर
नीगाहें हर पल ढूंढें, साया तेरा हर ओर
दिल में लगी आग, बुझाने आया तू किस ओर चाँदनी रात में तन्हाई, तेरे बिन ना चैन आए सन्नाटे की आहट में, तेरी आवाज़ क्यों ना आए दिन गुज़रें और रातें, इंतजार में हैं ढलती यादों की परछाईं, आँखों में क्यूं हैं जलती हर मोड़ पर ढूँढा तुझे, हर गली और हर डगर तेरे बिन ये जिन्दगी, लगती है जैसे बसर
मकता:
' योगी' की यह गजल, दिल से निकली है पुकारइंतजार की इन राहों में, कब होगी मुलाकात यार
योगेश ' योगी '
No comments:
Post a Comment